बस इन्हीं खबरों से बनता है आजकल अख़बार। बस इन्हीं खबरों से बनता है आजकल अख़बार।
पहले उपर वाला किताब लेकर बैठता था इसलिए हिसाब अगले जन्म में होता था। पहले उपर वाला किताब लेकर बैठता था इसलिए हिसाब अगले जन्म में होता था।
आज कविता सरल सहज नहीं उसने अपने रंग, चलन, ढब बदल लिये आज कविता सरल सहज नहीं उसने अपने रंग, चलन, ढब बदल लिये
है ज़िन्दगी के पन्ने अख़बार की तरह.... है ज़िन्दगी के पन्ने अख़बार की तरह....
अंत तक हंसी आयी ही नहीं ..बस टीवी बंद करके जैसे ही उठी तो अख़बार में ज़ानवारों के लिये ब्यूटी सलून .. अंत तक हंसी आयी ही नहीं ..बस टीवी बंद करके जैसे ही उठी तो अख़बार में ज़ानवारों के ...
माँ के व्रत-उपवास का सच, उर्मिला के अहसास का सच, वैदेही वनवास का सच माँ के व्रत-उपवास का सच, उर्मिला के अहसास का सच, वैदेही वनवास का सच